emotional shayari in hindi on life
Hindi on Life Love - Poetry Tadka
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तू ना सही पर तेरी यादें तो होनी चाहिए, तेरे इस शहर में, हम गरीबों के लिए भी थोड़ी जगह तो होनी चाहिए।
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कुछ यूँ अपने आप से मिलने का तरीका ढूंढ रहे है। इस ज़िंदगी से दूर जाने का बहाना ढूंढ रहे है।
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ज़िंदगी से शर्त बस इतनी सी है की, कोई शर्त ना हो।
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आज की दुनिया में मासूमियत को बेवकूफी समजी जाती है।
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मुझे ज़िंदगी के इम्तिहान में सफल होना है, स्कूल और कॉलेज में तो सब सफल होते है।
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आईना देख के समझने की कोशिश कर रहा हूँ, आज मैं अपने आप को जानने की कोशिश कर रहा हूँ, ज़िंदगी यूँ कांच की तरह तोड़ कर तबाह कर ली, आज टूटे हुए टुकड़ो को समटने की कोशिश कर रहा हूँ।
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ज़िंदगी हर किसी को आजमाती है, जो संभल जाता है वो चमक जाता है।
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जमाने में सौदा नहीं, आजकल सौदों पर जमाना है।
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ये दुनिया नहीं बल्कि एक व्यापार है, और इसका सबसे अच्छा व्यापारी मैं बनूँगा।
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ज़िंदगी जी कर गुज़ारो काट कर नहीं।
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सब कुछ रखता हूँ मैं लेकिन खामोशियों से, सीखी है ये बात मैं किताबों की अल्फाजों से।
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अभी चाँद नहीं निकला, जरा सी शाम होने दो। मैं खुद ही लौट आऊंगा, पहले थोड़ा मेरा नाम होने दो।
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मुझे सरेआम ढूंढते हो, मैं खुद ही मिल जाऊँगा पहले थोड़ी पहचान तो होने दो।
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हर कहानी को लिखने का तरीका ढूंढता हूँ, मैं अपने आप को बदलने का तरीका ढूंढता हूँ।
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अगर तुम कुछ सीख सको हमारी किरदार से तो क्या बात हो, अगर मैं बदल सकूँ किसी की ज़िंदगी फिर तो क्या बात हो।
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किताबों सा बनों, सब कुछ सीखा कर भी खामोश रहो।
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हर वक्त डर रहता है, कैसे तू मेरे बगैर रहता है।
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हर कोई किसी न किसी नशे में बेहोश है, यही सब सोचकर हम खामोश है।
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वजह से नहीं, यहाँ बेवजह छोड़ने का रिवाज है।
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खुदकुशी करने की हिम्मत नहीं है मुझ में, बस इंतज़ार हादसा होने का कर रहा हूँ।
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मिलने का बहाना ढूंढता हूँ, दोस्ती को रिश्ते में बदलने के लिए।
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तू कुछ इस कदर है मुझ में समाई, तुझ में ही मुझे मेरी ज़िंदगी नज़र आई।
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रास्तों में भटका नहीं हूँ मैं, इतनी जल्दी क्या है, अभी तो घर से निकला हूँ मैं।
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आपको धोखा खाने के लिए भी, पहले लोगों को अपना बनाना पड़ता है।
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खामोशियाँ भी खामोश हो के मिलती है उनसे इतनी खास है वो।
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मोहब्बत को लोग बदनाम करते है, और शादी खुलेआम करते है।
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अँधेरा मन में है और दिए हम घरों में जलाते है।
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मैं अकेला था तो तुझे मांगता था, तू मिली साथ रहने की कीमत समझ आ गई।
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मैं और तुम में इतना अंतर है कि, तुम अपने लिए जीते हो और मैं तुम्हारे लिए।
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साथ रहने में मज़ा नहीं आ रहा है तो बिछड़ के देख लो।
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मैं आम हूँ, वो ख़ास है। मैं जनता हूँ, वो मेरी अदालत है।
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तसल्ली होती है, जब कोई जानकार हमें देख कर मुँह फेरता है।
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तेरे अलावा पूरी दुनिया पराई लगती है।
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सैलाब उनकी आँखों से निकला, और सब्र का बाँध मेरा टूट गया।
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